Sunday, January 9, 2011

इस गांव में 15 साल से कायम है 'रामराज'

Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7243674.cms

गोरखपुर।। देश और दुनिया में बढ़ता अपराध एक बड़ी चुनौती बन गया है, लेकिन यूपी में एक ऐसा गांव है, जहां कलियुग में भी 'रामराज' स्थापित है। ब्राह्मण बहुल इस गांव में 15 साल से कोई अपराध नहीं हुआ है।

गोरखपुर जिले के सहजनवा थाना क्षेत्र स्थित करीब 1500 की आबादी वाले तख्ता गांव के लोगों को इस बात पर गर्व है किउनका गांव अपराध की काली छाया से दूर है। उनका दावा है कि 15 साल में यहां मारपीट, फौजदारी, चोरी, लूट, अपहरण या हत्या जैसी कोई आपराधिक घटना नहीं हुई है।
अगर आप यह सोचते हैं कि यूपी में अपराध मुक्त होने का दावा केवल तख्ता गांव के लोग ही कर रहे हैं, तो ऐसा नहीं है। पुलिस के रेकॉर्ड भी उनके दावों पर मुहर लगाते हैं। सहजनवा थाने के रेकॉर्ड में यह गांव डेढ़ दशक से बिल्कुल बेदाग है। सहजनवा थाने के कार्यकारी थाना प्रभारी लल्लन सिंह ने बताया कि तीन साल पहले जब इस थाने में मेरी तैनाती हुई थी तो मुझे इस गांव की खासियत जानकर बहुत आश्चर्य हुआ था। हत्या या अपहरण जैसे बड़े अपराधों को तो छोड़ ही दें, पर्स चोरी, झपटमारी और चोरी जैसे छोटे अपराध की शिकायत भी इस गांव से सालों से नहीं आई हैं।

यह पूछने पर कि पंद्रह साल पहले यहां कौन-सा बड़ा अपराध हुआ था, उन्होंने असर्थता जताते हुए कहा कि इसके लिए पुराने रेकॉर्ड खंगालने पड़ेंगे, जिसमें बहुत ज्यादा समय लगेगा। तख्ता गांव भले ही पंद्रह साल से अपराध मुक्त रहा हो, लेकिन ऐसा नहीं है कि दूसरे गांवों की तरह यहां के लोगों में आपसी मनमुटाव नहीं होता। अगर कभी किसी के बीच मनमुटाव हो भी गया तो गांव के बड़े-बुजुर्ग और पंचायत, गांव की सरहद के अंदर ही मामला सुलझा देते हैं। इसलिए छोटे-मोटे मामले थाना तक नहीं पहुंचते हैं।

एक ग्रामीण शिव प्रताप मिश्र (65) ने बताया कि यहां भी लोगों के बीच छोटा-मोटा विवाद होता है, पर वे मामले को लेकर थाने पर न जाकर गांव के बड़े-बुर्जुगों के पास मुद्दा रखते हैं। वे जो फैसला करते हैं, दोनों पक्ष खुशी-खुशी उसे स्वीकार कर लेते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़े-बुजुर्गों का सम्मान और उनके प्रति भरोसा जताए जाने के कारण आसपास के इलाके में उनके गांव को विशिष्ट पहचान मिली है।

गोरखपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर तख्ता गांव की आबादी का 75 प्रतिशत हिस्सा ब्राह्मण बिरादरी का है। 25 प्रतिशत में दलित एवं अन्य जातियां हैं। गांव के ज्यादातर लोग खेती करते हैं और कई घरों के लोग सरकारी और प्राइवेट नौकरियों में भी हैं।

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