Sunday, January 9, 2011

सोने के सिक्कों पर भारी पड़ती माटी की गंध

Source: http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7231403.cms


मंजरी चतुर्वेदी ॥ नई दिल्ली
किसी ने उन्हें के्रजी कहा, तो किसी ने दीवाना। पैरंट्स ने उनके विचार सुने तो सिर पकड़ लिया- हाय साडा लाडला बिगड़ गया और बेटियों के मामले में तुरंत उसके हाथ पीले करने का मन बना लिया। लेकिन इन दीवानों ने न अपनों की सुनी, न गैरों की। सुनी तो, सिर्फ अपने दिल की और झोला उठाकर चल दिए एक नई इबारत लिखने अपने जड़ों यानी अपने पूर्वजों की धरती की ओर।
पिछले कुछ अर्से से बड़ी संख्या में प्रवासियों की यंग ब्रिगेड अपने देश वापस लौटकर यहां के सामाजिक-आर्थिक विकास की नई इबारतें लिखने में व्यस्त हैं। इनमें 19 साल के नौजवान से लेकर 35 साल के युवा तक सब मौजूद हैं। किरदार अलग-अलग, लेकिन जज्बा एक- मेक अ डिफरेंस।
अमेरिका में एनवायरनमेंटल इंजीनियर रहे चुके विजय गिलानी पिछले कुछ सालों से 'मुंबई वोट' नामक संस्था चलाते हैं, जो राजनैतिक जागरूकता फैलाने के साथ-साथ रीसाइकिलिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हावर्ड कॉलेज से ग्रेजुएशन व बोस्टन के चार्टर स्कूल में टेक्नॉलजी डायरेक्टर के तौर पर काम करने वाले आनंद शाह फिलहाल गांवों में पीने का साफ पानी मुहैया कराने की 'सर्वजल' योजना पर काम कर रहे हैं।
इसी तरह, नौजवान रिकिन गांधी एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के बाद फाइटर पाइलट बने, फिर अचानक एक दिन सब छोड़ कर देश लौटे और 'डिजिटल ग्रीन' की शुरुआत की। वह पिछले दो साल से कर्नाटक, उड़ीसा और झारखंड के लगभग 200 गांवों में किसानों और खेती के सुधार की दिशा में काम कर रहे हैं।
31 वर्षीया भारती जानी ने जब मियामी और फ्रांस से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 10 साल पहले देश में लौट कर बिजनेस शुरू करने की बात की तो घरवालों को लगा कि लड़की का दिमाग खराब हो गया है। अच्छा होगा कि शादी कर दी जाए। भारती ने ग्रास रूट लेवल पर महिलाओं को साथ लेकर काम शुरू किया और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काफी काम किया।
ये कहानी किसी दो-चार युवाओं की नहीं है, बल्कि बड़ी तादाद में युवा विदेशों से लौट कर अपने-अपने तरीके से कुछ अलग ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका समाज में कुछ असर दिखाई दे। ऐसे तमाम उदाहरण दिखे प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर आयोजित एक सेमिनार में, जिसकी थीम थी- देश के विकास में प्रवासी युवा को संलग्न करना। इसका आयोजन ग्लोबल यंग इंडियन प्रफेशनल्स एंड स्टूडेंट ने प्रवासी भारतीय दिवस और सीआईआई के साथ मिलकर किया था।
प्रवासी भारतीयों के मामले से जुडे़ मंत्रालय के उच्चस्तरीय सूत्रों के अनुसार , पिछले कुछ अर्से में लगभग एक लाख प्रवासी और अनिवासी भारतीय वापस अपने देश लौटे हैं। गौरतलब है कि मंत्रालय सहित देश के तमाम सरकारी और गैरसरकारी संस्थान इन दिनों प्रवासी युवाओं को अपना हिस्सा बनाने के लिए सिर्फ तत्पर हैं , बल्कि उनके तमाम विकल्प भी मुहैया कराए जा रहे हैं। युवाओं की इस यंग बिग्रेड की घर वापसी के पीछे जो बात सबसे महत्वपूर्ण नजर आई , वह था इनका अपनी जड़ों के आकर्षण और विसंगतियों से भरे अपने देश में ऐसा कुछ करना , जिससे कहीं कोई बदलाव की चिंगारी िकले।

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